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कहाँ से पाठक खोजल जा/ रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई’

adminSep 30, 20241 min read

पूछत भर में मुँह विचका के, चलि दिहलें ऊ अपने राहीका हो बाबू ! कविता चाहीं ? सस्ता अउर टिकाऊ कविता, धाँसू मंच जमाऊ कविताहाथे हाथ बिकाऊ कविता, बड़ा जबर उपजाऊ कवितासूतल लोग जगाऊ कविता, जल में आगि लगाऊ कवितारोवत…

आज के राजनीति/ संजय कुमार ओझा

adminSep 24, 20241 min read

पूरा परिवार समाजवादीन के,खाड़ बा सगरो उम्मीदवारी में,परिवारवाद वाला बहरी टिकट,बांटऽत बाटे खूब लाचारी में! जे लूटत आईल देश के अब ले,खानदानी बिगहटिया बूझीके,उहे चोर कहत घूमे ओकरा के,जे लागल बा च‌उकीदारी में ! आपस में लड़त बा सब लोग,राखी…

आजकल त ज़माना बा राउर / आसिफ रोहतासवी

adminSep 18, 20241 min read

आजकल त ज़माना बा राउरगाँव संउसे दीवाना बा राउर खेत-खरिहान खोरी बगइचाअब त सगरे सिवाना बा राउर बेवफाई प नइखी चीहाईलई त आदत पुराना बा राउर आँख काजर करे में खोदाइलई त रोवल बहाना बा राउर पल में ‘ आसिफ’…

“दरद” भोजपुरी कविता/उदय शंकर

adminSep 24, 20241 min read

बहूत डरावना भयानक रातदेखनी हइ जब ओके आजअसपताल के एगो कोना मेचिखत रहे लेके धिरे धिरे सास दरद पिडा के रहे समूंदरहर पल उठत रहे ओकरा अंदरदेख के ओके जि घबरायेका हाेइ ना समझ मे आये डाकटर के उहवा एगो…

ऋतु गीत

adminSep 16, 20241 min read

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु ऋतु में टुसिआइल फुलुंगिया।इन हरियर-हरियर पलइन में,सुतल सनेहिया जगावे कोइलिया।। कुहुकि…..।। खिसिकल मधु-ऋतु, उठल बजरिया,चुवल कोंच, झर गइल मोंजरिया।पछिया झरकि चले, तलफे भुभुरिया,देहिया में अगिया लगावे कोइलिया।। कुहुकि…..।। झुलसि गइल दिन, अउँसी…

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धर्माचरण/ प्रभास चन्द्र कुमार सिंह

धर्माचरण/ प्रभास चन्द्र कुमार सिंह

adminOct 4, 20241 min read

सिख मुसलमान जहाँ, इसाई हिन्दूवान जहाँ,रहत भी समान जहाँ, उहे बिहार ह5 | आदिवासी थारु जहाँ, उराँव संथारू जहाँ,चेरो खरवारू जहाँ, उहे बिहार हऽ । धार्मिक त्योहार जहाँ, उत्सव लोकाचार जहाँ,सौहार्द्र-व्यवहार जहाँ, उहे बिहार हऽ आपसी सद्भाव जहाँ, हेल-मेल भाव…

सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

adminOct 4, 20241 min read

सखी, हमरो बलम,कारखाना में काम करेलन । कारखाना जाइ के लोहा बनावेलन,लोहा बनाई देश आगे बढ़ावेलन,देश के खातिर पसीना बहावेलन,देशवा के खातिर जीवन अपरन ।सखी, हमरो बलम | कन्हियाँ पर हल लेई तोहरो सजनवाँ,अन्न उपजाव, भइले गाँव के किसनवाँ,हरवा कुदरिया…