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जीवन यात्रा/ जगदीश नारायण सिंह ‘ऋषिवंशी’

adminSep 30, 20241 min read

अइलै माया की नगरिया, रोवत क बचवा ।तजलै माई क ओझरिया चलत क बचवा ।। नव माह तक गरभ में रहलै फिर धरती पर अइलै ।माया क हावा लगते ही सारा ज्ञान भुलइलै ।। फिर भी खुलल ना नजरिया रोवत…

आंख के आन्हर – जगदीश खेतान

adminSep 26, 20245 min read

ई सन 1971 के बात हऽ। पाकिस्तान आ भारत मे लड़ाई शुरु हो गईल रहे। पूरा देश मे येगो उत्साह छा गईल रहे। हर जगह येही के चर्चा होत रहल। बुझात रहल की लड़ाई लंबा खिंची। रात के ब्लैक आऊट…

सवालन में लोकतंत्र – गंगाशरण शर्मा

adminSep 26, 20241 min read

गणित में बा आंकड़न के महत्व लोकोतंत्र में बा आंकड़न के सम्मान  बाकिर जब खेले लागनस आंकड़ा धर्म जाति संप्रदाय के गोटी मिटे लागेला सामूहिक -निरपेक्षता -एकता पिटे लागेला सद्भावना-मारयादा -सहिष्णुता  तब दरके लागेला विश्वास जनता के बेवस्था में! ———————-…

चनवाँ त उहे/ डॉ इकबाल

adminSep 30, 20241 min read

पूछेले पुतरिया पुतरी से अंखिया के रोशनियाँ का भइल ।चनवाँ त उहे चनवाँ बाटे, चनवाँ कऽ चंदनिया का भइल ।हम रोज रटी दादी-दादी, दादी क रोज बखान करीं ।दादी क अँचरवा पूछता, बबुनी क ओढ़नियाँ क भाइल ।।चनवाँ त उहे……..

अब गैरियत के बात का मन हो गइल तमाम / कुलदीप नारायण ‘झड़प’

adminSep 19, 20241 min read

अब गैरियत के बात का मन हो गइल तमामतोहरे में हम समाइल, हमिता के अब न नाम दउराइ रहल मनवाँ हमके कहाँ-कहाँजब गिर गइल बा हमरा हाथन से खुद लगाम झगड़ा ई तबे ले रहल जब ले कि जिन्दगीअब त…

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

Recent

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…