कविता
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बुद्धि न केहू के काम करे/ हीरालाल हीरा
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बुद्धि न केहू के काम करे,सब सोच में डूबल बा उतराइल.हाँकत जे दिन-राति रहे,मुँह से उनका कुछऊ न कहाइल.राम के काम में जानि रुकावटवानर भालु सभे अउँजाइल.ओही में केहू का मारुत-नन्दनके बल-पौरुष के सुधि आइल.
गीत
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बुद्धि न केहू के काम करे/ हीरालाल हीरा
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बुद्धि न केहू के काम करे,सब सोच में डूबल बा उतराइल.हाँकत जे दिन-राति रहे,मुँह से उनका कुछऊ न कहाइल.राम के काम में जानि रुकावटवानर भालु सभे अउँजाइल.ओही में केहू का मारुत-नन्दनके बल-पौरुष के सुधि आइल.
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सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’
सखी, हमरो बलम,कारखाना में काम करेलन । कारखाना जाइ के लोहा बनावेलन,लोहा बनाई देश आगे बढ़ावेलन,देश के खातिर पसीना बहावेलन,देशवा के खातिर जीवन अपरन ।सखी, हमरो बलम | कन्हियाँ पर हल लेई तोहरो सजनवाँ,अन्न उपजाव, भइले गाँव के किसनवाँ,हरवा कुदरिया…
सामयिक रचना/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’
संसद पर कइलसजवन आतंकी चढ़ाई,ओकरो के देशवा मेंफाँसी ना दिआई ।सुरसा के मुँह असबढ़ता महंगाई,नंगा निचोड़ी काका ऊ नहाई ?सामाजिक समरसता केदेके दुहाई,आरक्षन के नाम परहोत बा लड़ाई ।पेट्रोल डीजल महंगा भइलेमहंगा भइल ढोआई,सब्जी-भाव आकास छूएका कोई खाई ?