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रउरा आँखिन से झर गइल पानी / जगन्नाथ

adminSep 21, 20241 min read

रउरा आँखिन से झर गइल पानीहमरा आँखिन में भर गइल पानी हमरा रोवला के अर्थ लागल हऽहमरा आँखिन के गिर गइल पानी खुद के ऐनक में देख के लागलजइसे घइलन बा पर गइल पानी जिन्दगी का निसा चढ़ल बाटेउम्र के…

सागर से भेंट/ डॉ॰ शारदा पाण्डेय

adminOct 1, 20241 min read

सुख तबले बाँझं रही,जब ले दुःख से बतिआई ना ।जगि त ईहे ह किजमुना के धार, गंगा में समाईतवे ओकरा के सागर भेंटाई ॥

माइयो के बोलवले आई / बृजमोहन प्रसाद ‘अनारी’

adminOct 4, 20241 min read

पीयर जनेउवा वालाऽ, पीयरे खंरउवाँ वालाऽ,आरे बाबा हथिया के सूढ़ लटकवले आई.माइयो के बोलवले आई………. दाँये शुभऽ बाँये लाभऽ, आगे रिधि पाछे सिधि,आरे बाबा शुभ के सनेश भेजववले आई,बाबूओ के लिअवले आई………. फलऽ मोतीचूर खातऽ, पान खाके मुसुकातऽआरे बाबा मुसवा…

आईल बाटे फिर से बाबा शिवरात्रि के त्यौहार/ अभयकृष्ण त्रिपाठी

adminOct 7, 20241 min read

आईल बाटे फिर से बाबा शिवरात्रि के त्यौहार,भोले बाबा सुनी लिह बिनती हमार,मत दीह केहु के भी कवनो उपहार,भोले बाबा, भोले बाबा, भोले बाबा हमार II पापियन के नाश के महिमा सुनाईले,भस्मासुर के लीला भी भूले ना भुलाईले,भरल बाटे एही…

बजट बा / चंद्रभूषण पाण्डेय

adminSep 20, 20241 min read

बजट बागजट बाअब काझंझट बालटपट बाअटपट बाअपने मेंखटपट बारपट बालपट बाऊंट कवनाकरवट बामरकट बागरगट बाबस नजरिएचोरकट बाचटचट बागटगट बादेस बढ़लझटपट बाटकटक बाठकठक बाअब त जयजयहरघट बाजमघट बाघटघट बाघोंटी अब मड़सटकोसटपट बा

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गीत

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सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

adminOct 4, 20241 min read

सखी, हमरो बलम,कारखाना में काम करेलन । कारखाना जाइ के लोहा बनावेलन,लोहा बनाई देश आगे बढ़ावेलन,देश के खातिर पसीना बहावेलन,देशवा के खातिर जीवन अपरन ।सखी, हमरो बलम | कन्हियाँ पर हल लेई तोहरो सजनवाँ,अन्न उपजाव, भइले गाँव के किसनवाँ,हरवा कुदरिया…

सामयिक रचना/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

सामयिक रचना/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

adminOct 4, 20241 min read

संसद पर कइलसजवन आतंकी चढ़ाई,ओकरो के देशवा मेंफाँसी ना दिआई ।सुरसा के मुँह असबढ़ता महंगाई,नंगा निचोड़ी काका ऊ नहाई ?सामाजिक समरसता केदेके दुहाई,आरक्षन के नाम परहोत बा लड़ाई ।पेट्रोल डीजल महंगा भइलेमहंगा भइल ढोआई,सब्जी-भाव आकास छूएका कोई खाई ?