धुआँ भरल आसमान/ शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’
बा धुआँ से भरल आसमान ।
साँस बा टँगाइल, परान बे परान!
खोजत बसेर बिया, छोटकी चिरइया,
फेड़ रूख लउके ना, धरती प’ भइया,
जाई कहवाँ कि पाई धरान!
संतति के चाल देखि, काँपि गइलि धरती,
हरियर, हरियर रहे, होइ गइलि परती,
दुनिया लागेला जइसे बिरान!
पग-पग पर खतरा बा, रहिया भुलाइलि,
फूटलि किरिनिया ना, अबहीं ले आइलि,
जाने कहिया ले होई बिहान ?
हमके जिनिगिया ई मउवति जनाले,
मानवता जाति-धर्म- नाँव पर बँटाले,
झूठ लागत बा गीता – कुरान !