पाती / गुरुविन्दर सिंह

Image

पाती / गुरुविन्दर सिंह

मिलल की जइसे भूलल थाती
लिखल तहार मिलल जब पाती।

रोजे रात निहारत रहनी
हीते-नाते सबसे कहनी
बहल लोर मोर साँझ-पराती।

मन में, बहुते बिसवास रहल
हियरा लुतियन के वास रहल
बरली ओह से दियना-बाती।

मिले साँझ रोजे दिन-रैना
बिन मांझी मोरा नइया सूना
खेले खेल समय उत्पाती।
लिखल तहार मिलल जब पाती।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

पाती / गुरुविन्दर सिंह - भोजपुरी मंथन