अइसन करनी/ अभयकृष्ण त्रिपाठी

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अइसन करनी/ अभयकृष्ण त्रिपाठी

अइसन करनी केकर होखी बहुत विचरलीं,
आइना देखवते जानवर ना इन्सान के पईलीं ई

हम कुछुओ लेके ना जाएब ई सबही गावत बा,
आपन जेब भरे खातिर दुसर जेब ही भावत बा,
अपना करनी से जानवर के भी सरमावत बा,
अपना जननी के सबका सामने जुतियावत बा,
असुरन के तांडव करत देख केशिये नोचलीं,
आइना देखवते जानवर…II

व्यभिचारी के भी मर्यादा रहे केहु नईखे जानत,
बचीयन के लुटला बिना दिल नईखे मानत,
लुटेरा बनला के बादो राजा जइसन मुस्कान बा,
साधू बनला के बाद खोलत राजनिती दुकान बा,
आनर किलिंग के बहाना बस इंसानियत कोंचलीं,
आइना देखवते जानवर…ई

अइसन करनी केकर होखी बहुत विचरलीं,
आइना देखवते जानवर ना इन्सान के पईलीं ई

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अइसन करनी/ अभयकृष्ण त्रिपाठी – भोजपुरी मंथन