अपना अवकाद से बेसी/ ब्रज मोहन राय ‘देहाती’
अपना अवकाद से बेसी,
जोर लगाके,
लइका के एम० ए० पास करा देहलीं,
ई समझीं कि,
बढ़ियात उफिनात नदी में,
केहू तरी नाव पार लगा देहलीं,
जूता टूट गइल,
चप्पल घिस गइल,
नोकरी खोजत,
अपमान सहत,
मन भरि गइल,
बाकिर,
अब
ओकर भाग्य चमकि गइल,
खाली अपने गाँव ना,
जिला भर गमकि गइल,
काहे कि
अब बेटा नोकरदार हो गइल,
पूरे देश में
बम आ बन्दूक के,
भरमार हो गइल ।