उड़ जा चिरई! – मुकुन्द मणि मिश्रा
उड़ जा चिरई
दूर देश तू
अब ना अईह
टोला में,
गँऊआ हमर
भइल कसाई
मार पकइहें
घूरा में।
तिनका -तिनका
जोड़ बनवलू
अंडा दिहलू
खोंता में,
तहरा खोंता
आग लगा के
भइल ठहाका
टोला में।
कतनो रोवबू
लोर गिरइबू
दया ना मानव
चोला में ।।
उड़ जा चिरई
दूर देश तू
अब ना अइह
टोला में ।।’