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पटरी ना खाई – जितराम पाठक

जितराम पाठकSep 26, 20241 min read

अरुआइल बा बात तहार, हटाव फरका,ले अइब एने अब त पटरी ना खाई। चूरी-टिकुली के हम सुनलीं गीत अनेकनपाकि गइल बा कान,कपार बथत बा फरके,लागल हरकेतू बाड़ अइसन उजिआवनदुपहरिया में गीत भोर के गावत बाड़लागल बाटे आगि, बइठि पगुरावत बाड़मारि…

अइली भदउवा केरी राति, सघन घन घेरि रहे / दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह ‘नाथ’

अइली भदउवा केरी राति, सघन घन घेरि रहे।बाबू चढ़लीं रयनि अधिराति, फिरंगी दल काँपि रहे।।नभवा से गिरे झरि-झरि धार, तुपक रन गोली झरे।बाबू के घोड़ा करै कटि, कटक गोरा काटि रहे।। टपाटप बाजे ओके टाप, छपाछप मूड़ी गिरे।तब घेरले फिरंगिया…

ना आइल

ठकुरसुहाती अबले भइया, हमरा गावे ना आइल ।खुद कबहूँ, हंसनी ना त, दोसरो के हँसावे ना आइल।। सोचते रहि गइनी,जिनिगी के,रस से सराबोर कई दीं ।हो गइनी नीरस काहें, अतनो त बतावे ना आइल ।। कई बेरि सोचनीं, कि चोटी,…

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

बाह रे जमाना…/ सुजीत सिंह

adminSep 26, 20241 min read

बाह रे जमाना इ त,हद हो गइल।मेहरारू के आगे माई,रदद् हो गइल।। छोह मउगी से प्यार,माई पावे दुत्कार।माई बाटे मोहताज,मेहर मुरीया के ताज। ममतामयी माई आज,बद्द हो गइल।मेहरारू के आगे माई,रदद् हो गइल।

कविता

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल…

आदमी से आदमी अझुराइल बा।सभे एक दोसरा से डेराइल बा।मिल्लत…

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आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के…

आधी-आधी रात रतिया के पिहिके पपिहरा से बैरनिया भइली नामोरा…

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

आपन हमदर्द/ दीपक तिवारी

माई जइसन,प्यार करे,ना करि केहू,आपन हमदर्द,चाहें केतनो, होई सेहूँ। माई…

गीत

  • सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए.

    अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकरअहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें सेपुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकरनहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी सेसमूचा देस होके एक बोले एक सुर से जोखड़ा हो तानि के…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ…

आदमी के हाथ में जब नाथ बाटेतब कवन…

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ऋतु गीत

कुहुकि-कुहुकि कुहकावे कोइलिया,कुहुकि-कुहुकि कुहुकावे।। पतझड़ आइल, उजड़ल बगिया,मधु…

का कहीं

का कहीं

तार तार लूँगा बा, झूला बा, का कहीं ?देहिं…

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सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

सावन सुहागन/ ब्रजेन्द्र कुमार सिन्हा

adminOct 4, 20241 min read

सावन सुहागननिरखे अंचरवा,चल भइली विरहिन – भेष ?मास भदउआना लागे भयावनविरहिन उठे ना कलेश.धानी रे चदरियारंग दुपहरियाधरी ले ली जोगिनी के भेष.सुपुली के सोनवाभइले सपनवाचल पिया बसे परदेस.हरी-हरी चुड़ियाहरी रे चुनरियामिली नाहीं अब एही देश.

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

जुग पुरुष कहावऽ / वेद प्रकाश व्दिवेदी

adminOct 4, 20241 min read

हो भाई सुनऽ, अपने मत धुनऽ;दोसरो के बतिया के मनवा में गुनऽ । सही बात सोचऽ, मुँहवा मत नोचऽ;बात मत बनावऽ, काम करऽ आवऽ । काम बहुत ढेर बा, हो गइल देर बा;हठ मत ठानऽ, बात असल जानऽ 1 बाबू…