कविता
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धर्माचरण/ प्रभास चन्द्र कुमार सिंह
सिख मुसलमान जहाँ, इसाई हिन्दूवान जहाँ,रहत भी समान जहाँ, उहे बिहार ह5 | आदिवासी थारु जहाँ, उराँव संथारू जहाँ,चेरो खरवारू जहाँ, उहे बिहार हऽ । धार्मिक त्योहार जहाँ, उत्सव लोकाचार जहाँ,सौहार्द्र-व्यवहार जहाँ, उहे बिहार हऽ आपसी सद्भाव जहाँ, हेल-मेल भाव…
सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’
सखी, हमरो बलम,कारखाना में काम करेलन । कारखाना जाइ के लोहा बनावेलन,लोहा बनाई देश आगे बढ़ावेलन,देश के खातिर पसीना बहावेलन,देशवा के खातिर जीवन अपरन ।सखी, हमरो बलम | कन्हियाँ पर हल लेई तोहरो सजनवाँ,अन्न उपजाव, भइले गाँव के किसनवाँ,हरवा कुदरिया…