कुकुरन के बारात/ विद्या शंकर विद्यार्थी
कुकुरन के बारात लेअइलऽ
समधी तूँ सधुअइलऽ
जूता पर नजर इहनिन के
घाउंज तूँ करवइलऽ।
कमे कुकुर बाड़न सन ई
जवन टांग ना टारसन
जगहा के बात कहाँ बाटे
जेने मन जल ढारसन।
आन के पतल बरी प टूटनस
आपन जमा करसन
बुनिया छोड़ के पेटपचवन के
नून दही पर परसन।
कवनो बस के सीट नोचे त
कवनो सिक्रेट पीअता
का अदब के बात करीं हम
फटले जीन्स में जीअता।
पतल भर भात घट जाई त
बेटिहा के इज्जत जाई
इहे सोच में परल बानीं हम
इहनिन के कब बुझाई।
इहनिन के कवन दिना अब
असली बात बुझाई
चिरकुट के कहत बाड़न सन
हउए शोभा के टाई।
कुकुरन के बारात लेआवल
बन होखल जरूरी बा
इज्जत ना बन्हिहनस ई
सोचल ई अब जरूरी बा।