खेवनहार – गंगाशरण शर्मा

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खेवनहार – गंगाशरण शर्मा

जे झूठ के सांच,

आ सांच के झूठ
आडंबर के सादगी
क्रूरता के दया
करिया के उज्जर
में बदलल जानेला
जोसीला भासन से
गरीब के रोटी
मजदूर के झोपड़ी
धर्म के देवाल
जात के जहर
सम्प्रदायिक आगि में
समाज के जरावल जानेला
जे दउलत के,
सोहरत के
नैतिकता के
काला बाजार में
सफाई से बेचे जानेला
इंसानियत के भूलि के
धर्माधता फइला के
देस के इज्जत माटी में
मिलाई के
आदर्श आ सिद्धांत पर
गोली चलाई के
बनल चाहे खुद मुख्तार
आज उहे नेता बनल बा
देश के नाव के
खेवनहार !

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खेवनहार – गंगाशरण शर्मा - भोजपुरी मंथन