गंगाजल का प्रारंभिक प्रभाव/ प्रभास चन्द्र कुमार सिंह

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गंगाजल का प्रारंभिक प्रभाव/ प्रभास चन्द्र कुमार सिंह

गंगाजलवा बहुते फलदायी, जीवन दायी रहे।
कवनो रोग के अचूक ऊ दवाई जीवनदायी रहे।

दैहिक दैविक भौतिक, तीनो रोगन के मारन रहे,
बीस गुना ज्यादा युक्त, कइले आक्सीजन धारण रहे।
विषाणुनासक रोग रोग रोधी नाई, जीवनदायी रहे।
कवनो रोग के अचूक ऊ दवाई जीवनदायी रहे।

गरिष्ठो कर भोजन यदि, अफर केहू जात भी,
गंगा जलवा पीते भर हीक, गल पच जात भी ।
तासीर ओकर अस असरदायी, जीवनदायी रहे ।
कवनो रोग के अचूक ऊ दवाई जीवनदायी रहे ।

सोस कछुवा मछरी बॅग, जले अफरात रहिहें,
जे मरल सरल गंदो काउर, पदार्थ सब खात रहिहें ।
ऊ सफाई ला रहे उत्तरदायी, जीवनदायी रहे।
कवनो रोग के अचूक ऊ दवाई जीवनदायी रहे।

अनेको लाभ पावत लोगवा, रोगो दुख नास होत,
गंगा जी के प्रति जेकरा अटूट विश्वास होत ।
बधायी सुने बांझिनो बियाई, जीवनदायी रहे ।
कवनो रोग के अचूक ऊ दवाई जीवनदायी रहे।

ता दिन से आजु क गंगा, बिल्कुल ही भिन्न बाड़ी,
निर्मलता में नामी गंगा, आज उल्टे मलीन बाड़ी ।
कइसे केहू मानी आज सच्चाई, जीवनदायी रहे।
कवनो रोग के अचूक ऊ दवाई जीवनदायी रहे

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गंगाजल का प्रारंभिक प्रभाव/ प्रभास चन्द्र कुमार सिंह – भोजपुरी मंथन