गीत सुनिके उधोजी के डगमगाहट/ प्रभुनाथ शर्मा
रूदन भरल जब गीत सुनले उधो जी भइले डवाँडोल ।
ओही समय सुनाये लागल दोसर गोपी के अनुपम बोल ॥
कृष्ण – प्रेम का रस से लब-लब, रहे भरल ऊ पावन घोल ।
सखी एक तब बाँटत रहली, विरह वेदना हिया के खोल ॥
रूदन भरल जब गीत सुनले उधो जी भइले डवाँडोल ।
ओही समय सुनाये लागल दोसर गोपी के अनुपम बोल ॥
कृष्ण – प्रेम का रस से लब-लब, रहे भरल ऊ पावन घोल ।
सखी एक तब बाँटत रहली, विरह वेदना हिया के खोल ॥