गोपी लोग का प्रहार से आहत उधोजी के दीन-दशा/ प्रभुनाथ शर्मा
आभी- गाभी बोलि गोपी लोग, करे लागल बचन प्रहार ।
ज्ञान-गुमानी उधो बाबा, माने लगले तब मन के हार ॥
का उत्तर दीं केकर कइसे, सभके तेज अनोखा धार ।
काटि सके के रहें ना कवनो, उनका तरकस में हथियार
घबड़ायिल ई हाल देखिके, जइसे डेग उधो के बढ़ल |
एक स्वर में विरही वेदना, आके उनका कान में पड़ल ॥
प्रबल प्रेम के सभ आँखिन में, ना कभी देखले रहले लोर ।
श्याम-श्याम एक संग रटत देख, उधो भइले खुद विभोर ॥
करूणा रस के गावत सुनले पगली के ई भावुक गीत ।
कहाँ काहे जाके तू छिपलऽ, प्रान पियारे हे मनमीत !
ब्रजबासीन के दीन-दशा आ, अचर सचर का दुख सहित ।
लागल बखाने पगली गोपी, मर्माहत होके भयभीत ॥