चनवाँ त उहे/ डॉ इकबाल

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चनवाँ त उहे/ डॉ इकबाल

पूछेले पुतरिया पुतरी से अंखिया के रोशनियाँ का भइल ।
चनवाँ त उहे चनवाँ बाटे, चनवाँ कऽ चंदनिया का भइल ।
हम रोज रटी दादी-दादी, दादी क रोज बखान करीं ।
दादी क अँचरवा पूछता, बबुनी क ओढ़नियाँ क भाइल ।।
चनवाँ त उहे…..

ह साँच बराबर तप नही, परहित अस धर्म न दूजा हऽ ।
सम्वाद याद बा एक्टर कऽ अमृत बचनियाँ का भइल ।।
चनवाँ त उहे…..

सुनली कुरआन- पुरान बहुत, मंदिर-मस्जिद अंगनइया में।
भाषन सुनली हम घर-घर में, पुरखन क चलनिया का भइल ।।
पिये के हीरोईन गाँजा त सीना में जोर बहुत बाटे ।
जे देश के खातिर सिर देदे अब वइसन जवनियाँ का भइल । ।
चनवाँ त उहे…..

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चनवाँ त उहे/ डॉ इकबाल - भोजपुरी मंथन