चलत बा चले दीं/ रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई’

Image

चलत बा चले दीं/ रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई’

भीती पर केहू के टाँकी मराइल
एक सुन्न सुन्ना में अउरो जोराइल

मिरगा कहीं सोना क
जादू क टोना क
आँखी पर रूप चढ़ल
छँउकत सलोना क

गोड़न के मकड़जाल
रहियो हेराइल

इनके जजमानी में
अपने मनमानी में
गुरगुरात ई हुँड़ार
समय के दुकानी में

कूआँ में सगरो अब
भंगिये घोराइल

डगर मगर डगरत बा
पथरे के रगरत बा
गगरी ह आवाँ में
आगी से झगरत बा

असरा क डेहरी कुलि
ओही फोराइल

विज्ञापन में पइसा
पोखरी में कुछ भँइसा
मूले में लइका बा
पूजीं चलि सत्तइसा

नेपुआइल घात लगा
रावन सधुआइल

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

चलत बा चले दीं/ रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई’ - भोजपुरी मंथन