जइसन करम तू करबऽ/ डॉ॰ भगवान सिंह ‘भास्कर’
जइसन करम तू करबऽ भइया
ओइसन भोगे के परी ।
पद लोलुपता के लालच से
अपना हित अब त बचावऽ ।
जग के सब आडम्बर छोड़ऽ
हरि चरन में चित लगावs
एक दिन भोगे के परी ॥
ए दुनिया के सब चीजन के
एक दिन नाश हो जाई ।
सोना अइसन चमकत तनवा
माटी में धुल-मिल जाई
एक दिने जाये के परी ॥
पद गरिमा धन वंश व नारी
कवनो कामे ना आई ।
जगत में बस करम प्रधान बा
अमर उहे नू रहि जाई
एक दिन जाये के परी ॥
चेतऽ आजो ‘भास्कर’ मनवा
करs हरि के तू भजनवा |
बेकार होइ सब जहानवा
आई कामे ना तनवा
एक दिन भोगे के परी ॥
जइसन करम तू करबऽ भइया
ओइसन भोगे के परी ।