जाड़ा के पहाड़ा/ पं॰ कुबेरनाथ मिश्र ‘विचित्र’

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जाड़ा के पहाड़ा/ पं॰ कुबेरनाथ मिश्र ‘विचित्र’

जाड़ एकम् जाड़ काँपेला हाड़
जाड़ दुनी रजाई के हमके ओढ़ाई

जाड़ तियाई कमरा हइए नइखे हमरा
जाड़ चउको चदरा घेरले बाटे बदरा

जाड़ पचे सुइटर पेन्हले बाने मास्टर
जाड़ छके मोजा खोले के बा रोजा

जाड़ सत्ते साल पड़ल बा अकाल
जाड़ अट्ठे रूई ना कीनी से मूई

जाड़ नावाँ गददा हम सबके दददा
जाड़ दहाई दही विचित्रजी के लही

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जाड़ा के पहाड़ा/ पं॰ कुबेरनाथ मिश्र ‘विचित्र’ - भोजपुरी मंथन