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जिनगी से /आर. डी. एन. श्रीवास्तव

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जिनगी से /आर. डी. एन. श्रीवास्तव

बहा देलू सोना, बचावे लू पानी।
कवन भोर सपना देखावेलू रानी।।

गदहा क पीठ पर बानर सवार बा
का देखी रोगिन क बैदे बेमार बा
काने से दूनो बहिर बाने हाकिम
जे साँच कहे ऊ झुट्ठा गँवार बा
खूने-पसीना से सींचेलें तब्बो
करेलें किसानी आ पीटेले पानी।
कवन भोर सपना देखावेलू रानी।।

कब्बो संगतियन से भेंट तू कराव
किस्सा कहनई से मन भरमाव
पारी तहार अब बल्ला सम्भार
बिसरल पिरितिया के किरिया धराव
मनवो हमार तब भींज-भींज जाला
रोआवेलू कहि-कहि के बीतल कहानी।
कवन भोर सपना देखावेलू रानी।।

ऊ माई के अँचरा ऊ दादा के छाता
उमिरि ऊहो जब किछु नाहीं सोहाता
जगावल ऊ अँखियन में सूतल सपनवा
लगे कई जनमन के बिछुड़ल बा नाता
ऊ मूँगा लिलरवा ऊ सोना चेहरवा
इ हो देख माथे पर पसरल बा चानी।
कवन भोर सपना देखावेलू रानी।।

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जिनगी से /आर. डी. एन. श्रीवास्तव – भोजपुरी मंथन