पक्षी/ डॉ इकबाल

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पक्षी/ डॉ इकबाल

बगिया लागावल नेह क देख उजर गइल ।
पँक्षी न जाने प्रेम कऽ, पोषल केहर गइल ।

उठल बयार बर कऽ गुलशन में, एह तरह ।
हलात उ सुन-सुन के, रोंवा सिहर गइल ।। पक्षी…

जीयते उ माई-बाप त, मुउला समान बा।
जेकरा जवान बेटा क, गरदन उतर गइल ।। पक्षी…

छन में ओ सोहागिन, क सपना तँवाँ गइल ।
जेकर सिंगार लहकत, आगी में जर गइल ।। पक्षी..

सींचल रहे खेती जवन, बापू के खून से ।
धिक्कार! तोहके बा, जब उ साँढ़ चर गइल ।। पक्षी..

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पक्षी/ डॉ इकबाल - भोजपुरी मंथन