पावल प्रेम पियरवा हो ताही रे रूप – संत गुलाल साहब
पावल प्रेम पियरवा हो ताही रे रूप।
मनुआ हमार विआहल हो ताही रे रूप।।
ऊँच अटारी पिया छावल हो ताही रे रूप।
मोतियन चउक पुरावल हो ताही रे रूप।।
अगम धुनि बाजन बजावल हो ताही रे रूप।
दुलहिन दुलहा मन भावल हो ताही रे रूप।।
भुज भर कंठ लगावल हो ताही रे मन।
गुलाल प्रभु वर पावल हो ताही रे पद।।