भोजपुरी मंथन

बचपनवा/ आदित्य दूबे

बचपनवा/ आदित्य दूबे

बाबूजी बइठावे हमके कान्हे प
तितली उड़ावे जाईं बान्हें प
नून तेल रोटी बड़ा भावेला।
बचपनवा इयाद बड़ा आवेला॥

पढी लिखीं पटरी इसलेट प
सांझी के नहाए जाईं पूले प
खेतवा बगइचवा बोलावेला।
बचपनवा इयाद बड़ा आवेला॥

दुई चार रहले संघाती
रोज जाईं खेले ओल्हा पाती
भूतहा इनार डेरवावेला।
बचपनवा इयाद बड़ा आवेला॥

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