बड़का – बड़का / वेद प्रकाश व्दिवेदी
ई ह पटना, बड़का शहर,
इहवाँ सभ कुछ बड़का बाटे;
हरदम लागे इहाँ झमेला
इहवाँ बहुते चरखा बाटे।
बड़का इहवाँ लोगवा बाटे,
बड़का सभके सोच-विचार :
रोक-टोक ना बाटे कवनो-
ना बाटे आचार-विचार ।
केहू ना केहू के चिन्हे,
खोज रहल बा सभे शिकार,
हाकिम, नेता सभ ऊहे बा-
आम आदमी बा लाचार ।
बात सभे पइसा के करे,
प्यार-धरम कतहूँ ना बाटे;
लूट-खसोट बढ़त बा सगरो –
एने-ओने, हाटे बाटे ।
रहल कठिन बा ए शहर में,
रोजे होखेला अपहरन;
पाकिटमारी, छीना-झपटी-
नइखे शांति, ना बा शरन ।