बदरिया / मदन मोहन सिन्हा ‘मनुज’
अइले बदरिया कि अइले संवरिया
का जाने कबसे अगोरेले गुजरिया ।
झूमत झामत चले कालेकाले हथिया
खेलत लोटत गिरि उड़त अकसिया
अँखुआ सुकोमल सलाज गोहरावेले
अइह हो अइह पियासलि धरतिया । ।
बिरही बिरहिया के बिसरल सुधिया
सूखि गइले उबचुब लोरवा तलइया
कविजी भुलाइ गइले भाव अउरी गितिया
सबओरि चरचा बा तोहरे बदरिया । ।
घाम काँट अस कि छेदत बाटे देंहिंया
तन झँउसाइ मरूअइले बटोहिया
जिनिगी जोगावे के जोगाड़ होई कहिया
अब त उतरि आव इनर के परिया । ।