बसन्त/ डॉ॰ वसंत कुमार
नाचे बउर बसन्त के लहरिया गुजरी
माते मधुआ से भीतर बहरिया गूजरी
लेसे कोइल – पपीहा के बचनियाँ हिये सूल
गूंजे मनवां के सउसे डगरिया गूजरी
भुके सरम से कनियाँ गुलाब – कलिया
भोरा छेड़े, नाहीं फेरे ऊ नजरिया गूजरी
लाल कलिया के लागे लाल पतिया ओहार
लाल डरिया के सोभे खरखरिया गूजरी
झाँके घुंघुटा से रसे दुलहिन कलिया
डोले मुसुकात पवन कहरिया गूजरी
लागे चले में सरम सखी, गाँव-गलिया
छलिया पुरुवा उड़ाइ देत सड़िया गूजरी
पर उमिर के फूल भले जिनगी के डार
भूले झुलुआ प फूलल संवरिया गूजरी
भूमे मोजरा से झवदल आमवां के डार
भूमे हरी के सुरतिया अंजोरिया गुजरी
वंसिया सुधिया के बजावे तड़पावे जियरा
फहरे कान्हा ई बसन्त के पियरिया गूजरी
नरम कदम के छइयाँ मनवाँ काँपे बड़ जोर
उरिया धइले बीते बिरहिन उमिरिया गुजरी