बिछौना बेवधान के – देवेन्द्र कुमार राय

Image

बिछौना बेवधान के – देवेन्द्र कुमार राय

करे खातीर शासन सभे बेंचलसि बिचार, 

हार होइबे करी। 

चुटुकी भर पावे खातीर करब जब मार, 

हार होइबे करी।टेक। 

बसुधा कुटुम्ब सोंच पुरुखन के रहे, 

सुख दुख मिलिजुल सभकेहु सहे, 

लालच लोभ दिहलसि दुखवा आपार 

हार होइबे करी।

चुटुकी——–जब मार।

बिछल बा डेगे डेग बिछौना बेवधान के, 

केहु के ना बांचल अब सोच समाधान के, 

जीनीगी के एक एक पल भइल बा पहाड़ 

हार होइबे करी।

चुटुकी———जब मार।

बने खातीर गुरु जग के करे के परी त्याग जी, 

उंच-नीच कइला से कबो जागी ना भाग जी, 

मिलिजुल रहब ना त छटाको लागी भार 

हार होइबे करी।

चुटुकी———जब मार।

आदत सुधरब ना त जइब बिलाई, 

लटि बुड़ि के संइचल कवनो कामे नाहीं आई, 

राय देवेन्दर काहे आदत से लाचार 

हार होइबे करी।

चुटुकी——–जब मार।

——————

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

बिछौना बेवधान के - देवेन्द्र कुमार राय - भोजपुरी मंथन