बिहार के बहार/ अरुण भोजपुरी

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बिहार के बहार/ अरुण भोजपुरी

कतना बहार बा हमरा बिहार में
जतने सुखार में ओतने दहार में
बाकि जे बंचल से भूकंप के दरार में !

हिंसा परमोधर्म अवत, सत्य अहिंसा पाप
धरती गौतम महावीर के कइलसि उल्टा जाप

जहं जहं पवि परल संतन के तह तह बंटाढार में ||

बम् बोले जगन्नाथ तपेश्वर विषकेउमान बचावं.
के के हवे तिवारी दूबे झा अपने सरिआवं

ठाकुर जादो दास राम सिंह, बैठा गौत्र उचार में ॥

हेंग आपाद के कातिक लेआ हरि दुःशासन का दो भूख
पिंडा पारि रहे जननेता देवघर गइले दुना दुःख

भइया बावूजी सुरधामे मीरा बहिन कोड़ार में ॥

वध बिहारी बुद्ध वा दुनिया भर में बदनाम
खनिज संपदा वन, पानी तक कर देलें माफिया नीलाम

हमनीं उदार धन-ज्ञान लुटवले बानी जा संसार में ।।

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बिहार के बहार/ अरुण भोजपुरी – भोजपुरी मंथन