बुतइले से पहिले/ रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी भाई’
ई समय, अइसन नदानी
लगलि बदले तंत्र छिन छिन
लाल, पीयर, आसमानी
सामने मकरी क जाला
जियत माछी ना घोटाला
रोज बदले रंग गिरगिट
का परी पाथर की पाला
जीभ चटकारति बा नागिन
माथ पर आइल भवानी
ताल में पुरइन क पत्ता
उगल अगना कुकुरमुत्ता
पेंड़ के पुनई पर ओरमल
मधु के एक बड़वार छत्ता
आ गइल डोली में बइठल
जहर लिहले रातरानी
हरियरी, सिरजल कियारी
ढेर डमरू कुछ मदारी
पोर सगरो बा खुनाइल
चलि गइल चुप्पी क आरी
टँगि गइल पिपरे के ऊपर
कुलि घड़ा में काल पानी