भोजपुरी भासा हऽ माई के/ डाॅ. पवन कुमार

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भोजपुरी भासा हऽ माई के/ डाॅ. पवन कुमार

भोजपुरी भासा हऽ माई के
दूध हऽ बकरी के गाई (गाय)के
लाठी हऽ बाबू के भाई के
झोरी हऽ बाबा के दाई के ।

दूध के ई छाली हऽ खखोरी हऽ
बउआ के खीर के कटोरी हऽ
दही हऽ घीव हऽ डार् ही हऽ
मही हऽ छेना के थारी हऽ।

इहे जे हमके बोले के सिखवलस
इहे जे हमके दुनिया चिन्हवलस
ठेस लागल गिरला पर कोरा उठा के
आंखि के लोर पोंछि गंवे से सुघरवलस।

कविता -कहानी एमे ढेरे गढ़ाइल बा
छंद रस अलंकार सगरो छिटाइल बा
भाव भरल महिमा एकर केतना बखानी
गगरी में नेह-छोह केतना समाइल बा।

केतना सपूत भइलें भोजपुरी माई के
फहरवलें झंडा ऊ लिख-लिख के गाई(गा) के
देसन-बिदेसन में चमकत लिलार जेकर
करतूत देखीं अपना भोजपुरिया भाई के ।

बिसराईं जनि अपना बोली-बानी के
इहे पोथी -किताबन में बरनित बा
राखीं जोगा के हिरदय में थाती के
मात् रि भासा भोजपुरी अमरित बा।

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भोजपुरी भासा हऽ माई के/ डाॅ. पवन कुमार - भोजपुरी मंथन