माइयो के बोलवले आई / बृजमोहन प्रसाद ‘अनारी’
पीयर जनेउवा वालाऽ, पीयरे खंरउवाँ वालाऽ,
आरे बाबा हथिया के सूढ़ लटकवले आई.
माइयो के बोलवले आई……….
दाँये शुभऽ बाँये लाभऽ, आगे रिधि पाछे सिधि,
आरे बाबा शुभ के सनेश भेजववले आई,
बाबूओ के लिअवले आई……….
फलऽ मोतीचूर खातऽ, पान खाके मुसुकातऽ
आरे बाबा मुसवा के रेस धउरवले आई,
भूतवा लिअवले आई……….
हम त ‘अनारी’ बानीं, रउरा दुआरी बानीं,
आरे बाबा मनवा के लालसा पुरवले आई,
अचरज देखवले आई.