माफीनामा/ नीरज सिंह

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माफीनामा/ नीरज सिंह

बहुत दिन के बाद अइला प
कतना बुझल बूझल लागत बा
कहिए से बंद
हमार गांव वाला घर !

लागऽता जइसे
कवनो बच्चा होखे
अपना माई से रूसल
भा जइसे माइए होखस
देर से घरे आइल अपना बेटा से
खिसिआइल ।

घर के बाहर के दिवारन प
पसरल लतर बढ़ियाइल बाड़ी स
बेपरमान
अंगना में उगि आइल बाड़ी स
तरह तरह के घास
पौध सूखि गइला के चलते उदास बाटे
तुलसी चौरा
सुखा गइल बा चापाकल
पसरल बा एगो डेरवावन सन्नाटा ।

ओसारा के देवाल पर
धूरि गरदा से धुंधुआइल
बाटे माई के फोटो
पोछला प चमके लागल बा
माई के चेहरा –
‘‘ आइल बाड़ऽ बबुआ !
नीमन बाड़ऽ नू सपरिवार ?
बबुआ कइसन बाड़न स ?
अबहीं पढ़ते बाड़न स कि
नोकरी चाकरी धइलन स कतहीं ?
आ बड़की बुचिया कइसन बिया हो ?
बड़ी मयगर रहे
आवत रहे त हमरा के छोड़ के तहरा लोग संगे
जाए के नाम ना लेत रहे !
ओकर मन लाग जात रहे एहिजा ।
ओसही जइसे हमार मन गड़ा गइल रहे
एह अंगना के माटी में ।

कहाँ गइनी हम तहरा लोग संगे कबहीं कतहूं !
रटते रह गइल लोग सभ भाई
बाकिर हम अपना ससुर के
बनवावल घर छोड़ के कहां जइतीं बचवा !
कइसे जइतीं हो
घर में संझवत के देखाइत बबुआ ? ‘‘

मन में आवऽता
पूछीं कि तहरा चल गइला के बाद
अब के देखावत बाटे संझवत के दिया
ए माई ?
जब ले जियलू
घर अगोरे के चलते
दूर रहलू हमनी से
ना अपने सुख से रहलू
ना हमनिए के अपराधबोध से मुक्त होके रहे देलू
कबहीं!
जइसे अबले करत रहलू क्षमा
तसहीं अब हमेशा
खातिर कर दीहऽ
माफ ए माई
काहे कि
दिया देखावे के नाम प
हम आइल बानी सउँपे घर के चाभी
हमेशा हमेशा खातिर
छोटका चाचा के
माफ करिहऽ ए माई !
माफ करिहऽ !

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माफीनामा/ नीरज सिंह – भोजपुरी मंथन