भोजपुरी मंथन

मोंछ/ देवेन्द्र आर्य

मोंछ/ देवेन्द्र आर्य

मोछिया केतनो बाढ़ी
नकिया के निचवे रही।

ई हैं के
ई हउएं हाकिम इहवां के बड़का
ई हैं के
इे सेठ-साहूकार हउएं मोटका
ई हैं के
ई झारे जालें गाँव गाँव टोटका
इनहन के गुमान बा
डेराइ जाई छोटका

जनता हमार हउए जइसे हनुमान जी
जनता के जोर बल करिं अनुमान जी
जब्बे जिदिआई
लेवे-देवे के परी।

मोछिया रखावे बदे
कटी नाहीं नकिया
नकिया रखावे बदे
बिकी ना इज्जतिया

जुड़वा सजावे बदे खेतवा बिकाई ना
देवता चढ़ावे बदे मनई कमाई ना

अगिया मसान जइसन
बरि जाले भुखिया
पेट के अगिनिया में
जरि जाले मोछिया

पेटवा जुड़ाई
तब्बे नकियो रही।

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