मोरी चुनरी में परि गयो दाग पिया/ डॉ॰ (प्रो) अरुण मोहन ‘भारवि’
पाँच तत्त्व की बनी चुनरिया,
सोरह से बन्द लागे जिया ।। 1।।
यह चुनरी मैके से आई,
ससुरे में मनुवा खोय दिया । । 21।
मलि-मलि धोई दाग न छूटै,
ज्ञान का साबुन लाय पिया ||3||
कहैं कबीर दाग तब छुटिहैं,
जब साहेब अपनाय लिया ।।4।।