रत्ना के फटकार/ कन्हैया सिंह ‘सदय’

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रत्ना के फटकार/ कन्हैया सिंह ‘सदय’

करऽ तारऽ हमरा से, जतना तूं प्यार हो,
रामजी से करि ल पिया, होइहें उद्धार हो ।

माटी के देहिया ई एक दिन बिलाई ।
भाई-बंधु, बेटा-बेटी कामे ना आई।
हमहूँ ना आइब काम, करी ल विचार हो,
करऽ तारऽ हमरा से, जतना तूं प्यार हो ।

मानुस के तनवां पवल, करी ल भजनवाँ हो ।
राम जी से नेह जोड़ऽ, होइहें तरनवाँ हो ।
राम भजन के बिना, होई ना भव पार हो,
करऽ तारऽ हमरा से, जतना तूं प्यार हो ।

काम-क्रोध, मद-लोभ, हवे दुश्मनवाँ हो ।
माया से ढकाइल बाटे, सारा जहानवाँ हो ।
चारू ओर लागल बाटे, माया के बाजार हो,
करतार हमरा से जतना तूं प्यार हो ।

माया से नाता तूर, राम जी से रिश्ता जोरऽ।
पिया मानऽ कहना मोर, परतानी पाँव तोर ।
राम ही करिहें पिया, ‘व्यथित’ के बेड़ा पार हो,
करऽ तारऽ हमरा से, जतना तूं प्यार हो ।

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