रमजान – नूरैन अंसारी
हर साल में महज एक बार आवेला रमजान!
संगे सनेश भाईचारा के ले आवेला रमजान!
मिटावेला इ ह्रदय से सगरी क्रोध-किना-कपट के,
जिनगी सादगी से जिए के सिखावेला रमजान!
बरखा हरदम पुण्य के होला ये पवित्र महिना में,
सुख-समृधि के सबके घर भेजवावेला रमजान!
झूम उठे ली धरती मईया,रोजदारन के इबादत से,
ईश्वर के चौखट तक सबकर दुआ पहूंचावेला रमजान!
इयाद दिलावेला हमनी के भूख से लाचार लोगन के,
उ सब के दर्द के अपना भाषा में समझावेला रमजान!