राखS दूधवा के लजिया…. / शिवजी पाण्डेय ‘रसराज’
राखS दूधवा के लजिया हमार बबुआ ।
देस – प्रेमवे हऽ जिनिगी के सार बबुआ !
माली बनि देस के, सँवरिहऽ फुलवारी
लागे ना बिआधि कवनों, केसर कियारी,
होजा देसवा पर हँसते, निसार बबुआ !
कइलसि भरोस बड़ा, तोहरा पर माई,
आइल बा सियार करे, शेर से लड़ाई,
जनि माई के भुलइहऽ, दुलार बबुआ !
पाक दुसमनवाँ के नीयति खराब बा,
अन्ट – सन्ट बोले, लागे पियले शराब बा,
करे लछुमन रेखा के, ना पार बबुआ !
माई के ललन हवऽ, सोचिहऽ विचरिहऽ
आपुस में मिल-जुल दुःखे – सुखे रहिहऽ
बनऽ ‘रसराज’ सबके सिंगार बबुआ !