वियोग में जेठवा बितावेले धनि,/ रामप्रसाद साह

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वियोग में जेठवा बितावेले धनि,/ रामप्रसाद साह

वियोग में जेठवा बितावेले धनि,
राहत बनवा बँचावे |
जब ही पपिहरा बोलिया के तान मारे
मनवा ओकर भरमावे ||

अमवा के डाली सेनुरिया जे पाकल
लाली ओठवा तरसावे ।
अब की बेहतर ना होखे सवनवा
सगुनवा गोरी मनावे ||

हरियर चुनरी पर छाप बकुलन के
मन उइन्छु शरमावे |
गिरि कन्दरा से शीतल बेयार बहे
रसे रसे बेनिया बोलावे ||

तातल देहिया आ शीतल बूनवा
छन छन भाफ उड़ावे ।
करते ओहार बाँची जाइत देहिया
रेलियां सउतिन ना लेआवे

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वियोग में जेठवा बितावेले धनि,/ रामप्रसाद साह - भोजपुरी मंथन