शत-शत नमन/विजय मिश्र
मानव जीवन
स्वस्थ सुन्दर तन
प्रभु के वरदान
अनघा अवदान
नाथ! बन्दन बार बार
करी स्वीकार
भगवन!
शत-शत नमन !!
का चाहीं अब
सोना न चानी
ना अउर धन
चाहीं त बस,
निर्मल मन !
होखे-
प्रीति रीति
रचना कला
सम भाव
नम्र बेवहार
सुविचार
प्रभु ! बन्दन बार बार
करी स्वीकार
भगवन!
शत-शत नमन !!