सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

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सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’

सखी, हमरो बलम,
कारखाना में काम करेलन ।

कारखाना जाइ के लोहा बनावेलन,
लोहा बनाई देश आगे बढ़ावेलन,
देश के खातिर पसीना बहावेलन,
देशवा के खातिर जीवन अपरन ।
सखी, हमरो बलम |

कन्हियाँ पर हल लेई तोहरो सजनवाँ,
अन्न उपजाव, भइले गाँव के किसनवाँ,
हरवा कुदरिया बनेला लोहे से,
लोहा के महातम भी नइखे किछु कम ।
सखी, हमरो बलम |

सीमा प जवानन के हाथे हथियार चाहीं,
एहू के बनावे खातिर लोहा तइयार चाहीं,
टैंक जहाज सब बनेला लोहवे से,
एही से वनेला पुल बाँध हरदम ।
सखी, हमरो बलम |

‘सुरक्षा प्रथम’ के नारा लगावेलन
‘व्यथित’ इहे बात सबके सिखावेलन,
सुरक्षा ही साथी ह असली आपन
दुर्घटना के करी जा जड़ से खतम ।
सखी, हमरो बलम |
कारखाना में काम करेला ।

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सखी हमरो बलम/ यमुना तिवारी ‘व्यथित’ – भोजपुरी मंथन