बिछड़े जब इयार/ दीपक तिवारी

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बिछड़े जब इयार/ दीपक तिवारी

जान से बेसी केहू के जब कइल जाला पेयार,
दरद होला बड़ा दिल में ऊ बिछड़े जब इयार।

दरद जुदाई के सहले नाही सहाला हो,
दुनियाँ लागे वीरान कुछ ना बुझाला हो।
रुके ना छन भर बहे बस अंसुवाँ के धार..
दरद होला बड़ा दिल में ऊ बिछड़े जब इयार।

पेयार में अक्सर होला पागल जस हाल,
बुद्धि जाला हेराई आ काम ना करे भाल।
समझेला ना कुछो समझा ल कतनो बार..
दरद होला बड़ा दिल में ऊ बिछड़े जब इयार।

चेहरा प गजबे होला ओह बेरा एगो चमक,
सदाबहार जिनगी लागे तेज दीप्ति दमक।
बड़ा नीमन लागेला कइल जेकर इंतजार..
दरद होला बड़ा दिल में ऊ बिछड़े जब इयार।

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बिछड़े जब इयार/ दीपक तिवारी - भोजपुरी मंथन