लोकतंत्र के मानी ई बा/ धरीक्षण मिश्र

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लोकतंत्र के मानी ई बा/ धरीक्षण मिश्र

कथनी पर करनी फेरात नइखे,
दिमाग गरम रह ता कबो सेरात नइखे,
हर के दुगो बैल कइसे मान होइहें सन
जब एगो बुढ़ गाई घेरात नइखे

लोकतंत्र के मानी ई बा,
लोकि, लोकि के खाईं
जिन गिरला के आशा करिहें,
हाथमलत पछताई ए भाई,
अइसन राज ना आई।

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लोकतंत्र के मानी ई बा/ धरीक्षण मिश्र - भोजपुरी मंथन