तुफान आई/ रघुनाथ सिंह विशारद
तुफान आई हो, तुफान आई,
वानह जल्दी मोटरिया, तुफान आई,
रहीना खेत चकला, ना रही सोनवा,
मिहनत करत में तहार, पचक जाई तोनबा,
जे खेत जोती बोई, उहे अन्न खाई । तुफान आई वानह
रहीना कोठा कोठी, बैंक में रुपईया,
एके जगे रहिहे, गोटाइल अउरू पईया,
चलीना वड़ियारी उहां, चलीना अधिकाई । तुफान आई…
अइसन समाज बनी; लीना केहु घूसवा,
जे जे भ्रष्ट होई, उधियाई जइले भूसवा,
मजदूर किसान के राज होई, इनकलाब गांवा गांई तुफान …
मेड़ टूटी जाति के, राजनीति के झगड़ा;
धनीक गरीब के कतही रहीना सगड़ा,
समाजवाद के घूघ उठा, विशारद देखाई ।
तुफान आई, वानह जल्दी मोटरिया । तुफान आई ||