आस सगरी गरीबन कऽ थाती हवे/ डॉ॰ कमलेश राय

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आस सगरी गरीबन कऽ थाती हवे/ डॉ॰ कमलेश राय

जइसे पपिहा कऽ जिनगी सेवाती हवे
आस सगरी गरीबन कऽ थाती हवे ।
जवना दियना में तेलवा ओराइल रहे
जरि – जरि के बरे अइसन बाती हवे ।

चोट खा-खाके नेहिया जतावल करे
ओकर फुलवा – पथरवा कऽ छाती हवे
सबके आपन बनाके अकेले रहे
ओकर केहूना संगी संहाती हवे ।

सगरी जिनगी ऊ सोनवा उगावल करे
ओकरा बखरी में अंजुरी भर माटी हवे
चान कोठवा अंटरिया पर उतरल करे
ओकर बखरी अन्हरिया कऽ टाटी हवे ।

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आस सगरी गरीबन कऽ थाती हवे/ डॉ॰ कमलेश राय – भोजपुरी मंथन