काहे निर्गुन गावतानी ?/ जनार्दन प्रसाद व्दिवेदी

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काहे निर्गुन गावतानी ?/ जनार्दन प्रसाद व्दिवेदी

(1)
काहे निर्गुन गावतानी ?
दोसरो के भरमावतानी;
जीवन रन ह, बिगुल बजाईं
तब देखों का पावतानी ।
(2)
साहसवाला सभ पावेला,
गीत खुशी के ऊ गावेला;
बइठल खाली सोचेला जे
ओकरा कुछुओ ना आवेला ।
(3)
मन के कुण्ठा दूर भगाईं,
अपना लोगवा से बतियाईं;
हँसी-ठहाका ही जीवन ह
एकरा के खूबे अपनाई ।
(4)
आशावादी भइल जरूरी,
तवे होई इच्छा पूरी;
एही से उत्साह बढ़ेला
जीवन बन जाला सिन्दूरी ।

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