हे हरि ! देदीं जहर पी के मर जाईं हम/ दुर्गा चरण पाण्डेय
हे हरि ! देदीं जहर पी के मर जाईं हम
पी के मनसा इ पूरा कर जाई हम
हे हरि….
काँचे उमिरिया में अइनि गवनवा सात जनमिया के साथ.
जननी ना सेनुर हो जाई सांपिन गारी पिरितिया के बात.
माहुर मेहदी से कइसे सवर जाई हम….
हे हरि…
कुहुके करेजवा आ रोवे कोइनिया झलका भरल कोमल गात.
काटे धावे अंगना दुआर खरिहनिया, जिनिगी भइल कारी रात.
जी करेला की उफर परी जाईं हम…
हे हरि….