कढ़ावल प्रीत के के गीत निसबद रात में इहवाँ / नागेन्द्र प्रसाद सिंह
कढ़ावल प्रीत के के गीत निसबद रात में इहवाँ
भरल के नेह के मोती नयन के प्रात में इहवाँ
इयादन से रहीं हम भरत सुनहट जिन्दगानी में
पता ना सोच के का लोग बइठल घात में इहवाँ
ना थिरकल पाँव, बोलल ना कहूँ से एक भी घुँघरू
बिना सुर के मिल बा साँस अस औकात में इहवाँ
कहाँ जाईं, केने खोजीं, ऊ लय जे आ रहल बाटे
ना लउकत बा इहाँ कुछुओ, ना हलचल पात में इहवाँ
इहाँ जे सुन रहल बानी, ना सोझा आ रहल हमरा
मचल बा कँपकँपी अब प्रान में आ गात में इहवाँ