तोहार अँचरा के छंहिया भुलाई कइसे माई | रगे रगे बसेला तोहारे खून देहिया मेंसब सुख पवनी हम…
तहरा बिना तनी ना रकटना, ए नंदलाल । भागल, खेदाइल, कवना नगरी से आईल बाड़, ए नंदलाल,चुलबुल चोर…
दरसन बिना छछनत लोचनवा,मोहले बा मन मोहन मधुरी मुसकनवा | दरसन बिना.. देखि के तोहार रूप, छाती भइल…
जवना खातिर शहर धइले,ओकरे चलते जहर खइले !जिनिगी मिलल ना मउअते मिलल,कुछ त पावे गाँवे चल !!चल चल…..…
बड़ा जतन करि खोंतवा बनवनीं,उ खोंतवा में नेहिया बसवनी !बाट जोहत अँखिया पथराइल सखी रे,खिलल…… केतना नजरिया से…
झूठहीं सपना देखावल छोड़ाधरती गगन लिखावल छोड़ा। अहंकार से भरले बाड़ा बबुआहमके अउर सीखावल छोड़ा। हमनी के भाषा…
हमनी के देश में गांव के गढ़ कहल गईल बा आ हमनी के ओरीत भाषा भोजपुरी में ही…
परिछन के चुनरी में कप्फन क पेंवना ईऊपर से राम नाम, नीचे सब अपना ई अपनन से कटे…
पूछत भर में मुँह विचका के, चलि दिहलें ऊ अपने राहीका हो बाबू ! कविता चाहीं ? सस्ता…
ई समय, अइसन नदानीलगलि बदले तंत्र छिन छिनलाल, पीयर, आसमानी सामने मकरी क जालाजियत माछी ना घोटालारोज बदले…