आग धुधुआता कभी-ना-कभी लहकी,छार-छार दुनिया के हो जाई अँगनाबहके दीं, कबले ई बाबू लोग बहकीतखता उलटि जाई, गइहें…
ओठ पर अब कहाँ दुआ बाटे,शब्द के दर्द के धुआँ बाटे।डेग कहँवा धरीं, बड़ा मुश्किल,हर तरफ बस कुँआ-कुँआ…