भुला गइल मनवा जान के।।मत-गरभ में भगती कबूलल, इहाँ सुतल बाड़ तान के।।एही कायागढ़ में पाँच गो सुहागिन,…
कर बर भगती मानव तन पाके।।दाल निर्हले, भात निर्हले हदर्दी लगा के, चौका भीतर मुरदा निरहले खात बारे…