हे मन रामनाम चित धौबे।।काहे इतउत धाइ मरत हव अवसिंक भजन राम से धौबे।गुरु परताप साधु के संगति…
मन अनुरागल हो सखिया।।नाहीं संगत और सौ ठक-ठक, अलख कौन बिधि लखियाजन्म मरन अति कष्ट करम कहैं, बहुत…