मन तुम कसन करहु रजपूती। गगन नगारा बाजु गहागहि, काहे रहो तुम सूती।पांच पचीस तीन दल ठाढ़ो, इन…
अमृत नीक कहै सब कोई, पीय बिना अमर नहिं होई। कोई कहै अमृत बसै पताल, नर्क अंत नित…
अमृत नीक कहै सब कोई, पीय बिना अमर नहिं होई।कोई कहै अमृत बसै पताल, नर्क अंत नित ग्रासै…
अजहूँ मिलो मेरे प्रान पियारे।दीन दयाल कृपाल कृपानिधि करहु छिमा अपराध हमारे।कल न परत अति बिकल सकल तन,…